28 Oct 2014

बच्चों की सेहत, मीडिया और यूनिसेफ

डाक्टर मुज़फ़्फ़र हुसैन ग़ज़ाली

टीकाकारी की सही मालूमात फ़राहम करना, ग़लत फ़हमियों--शक--शुबहात को दूर करना ,टीकों की मांग पैदा करना , बढ़ाना और ख़िदमत फ़राहम करने वालों--सरकार पर इस काम को बेहतर करने का दबाओ बनाना सहाफियों का काम है। ये बातें सम्यक फाउंडेशन के इश्तिराक से राय पर में मुनाक़िद यूनिसेफ की रीजनल मीडीया वर्कशॉप में सामने आएं। इस वर्कशॉप का इफ़्तिताह छत्तीसगढ़ के वज़ीर--आला डाक्टर रमन सिंह ने किया था। डाक्टर रमन सिंह ने अपनी इफ़्तिताही तक़रीर में कहा कि सूबे में बच्चों की अम्वात और माओं की विलादत के दौरान मौत को कम करना इन का अव्वलीन काम है।

बच्चों में ग़िज़ा की कमी से पैदा होने वाले अमराज़ को दूर करना भी ख़ुसूसी तौर पर उन के पेशे नज़र है ।याद रहे कि 2001--में यहां बच्चों की अम्वात की शरह एक हज़ार पर 76थी जो बतदरीज घट कर 2013में 46रह गई इस तरह नैशनल हैल्थ सर्वे NFHS-ll (1989-99)में यहां सिर्फ़ 22 फ़ीसद टीकाकारी रिकार्ड की गई थी 2005-06में ये आंकड़ा 49 फ़ीसद था जबकि 2012-13में 75 फ़ीसद हो गया है डाक्टर रमन सिंह के मुताबिक़ टीकाकारी के कवरेज को 75 फ़ीसद तक लाने के लिए इंतिहाई कोशिशें की गई हैं इन का मानना है कि ये अभी भी काफ़ी नहीं है शोबा सेहत का निशाना उस को बढ़ा कर 95 फ़ीसद तक ले जाना है।


छत्तीसगढ़ रियासत 2000--में वजूद में आई। ये आदिवासियों की अकसरियत वाली रियासत है। दूर जंगलात में बसे आदि वासियों के गांव तक पहुंचने की दुश्वारी और नक्सलवाद के चलते टीकाकारी का काम करना इंतिहाई मुश्किल है यहां कई प्राइमरी हैल्थ सेंटर्स में डाक्टर नहीं हैं डाक्टरों की 600 नशिस्तें ख़ाली हैं सरकार प्राइमरी हैल्थ सेंटर को प्राइवेट डाक्टरों के हवाले करने और माली मदद देने को तैयार है। वज़ीर--सेहत अमर अग्रवाल के मुताबिक़ छत्तीसगढ़ में ANM और सेहत का बुनियादी काम करने वालों की बहुत कमी थी तर्बीयती इदारे बना कर ख़ुसूसी मुहिम के ज़रिए इस कमी को पूरा किया गया उन्हों ने कहा कि सेहत और हिफ़ाज़त हर बच्चा का बुनियादी हक़ है अवाम को टीकाकारी से जोड़े बगै़र मुहिम कामयाब नहीं हो सकती। लोगों में पैदारी पैदा करने का काम मीडिया सब से असरअंदाज़ तरीक़ा से कर सकता है। अमर अग्रवाल ने मज़ीद कहा कि मीडिया को दूर दराज़ के इलाक़ों में रहने वाले तबक़ात तक रसाई हासिल करनी चाहिए उन्होंने इलाक़ाई ज़बानों के सहाफियों को जोड़ने पर ज़ोर देते हुए कहा कि टीकाकारी से मुताल्लिक़ ग़लत फ़हमियों को मीडिया ही दूर कर सकता है। उन्होंने बताया कि शोबा सेहत छत्तीसगढ़ सेहत से मुताल्लिक़ ज़रूरी आलात और ख़िदमात को आने वाले तीस से पचास सालों के लिए तैयार करने और मजबूत बनाने की कोशिश कर रहा है उन्होंने बताया कि सेहत से मुताल्लिक़ किसी भी तरह की मालूमात हासिल करने के लिए 104नंबर पर राबिता क़ायम किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने ये ख़ुसूसी सर्विस अवाम को सेहत मंद बनाने के लिए शुरू की हुई है। उन्होंने यूनिसेफ की कोशिशों को सराहते हुए कहा कि राय पर में मीडिया वर्कशॉप से शोबा सेहत के लोगों का हौसला बढ़ा है। छत्तीसगढ़ सरकार सहाफियों को सेहत से मुताल्लिक़ मौज़ूआत पर मालूमात फ़राहम करने और टीकाकारी के मंसूबों से जोड़ने की कोशिश करेगी।

यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के ज़िम्मेदार डाक्टर  प्रशांत दास ने बताया कि बच्चों को सेहतमंद रखने के लिए टीकाकारी सब से सस्ता और कारगर ज़रिया है। इस से हर साल लाखों बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाया जाता है। शहरों में झुग्गी झोंपड़ियों और आदि वासी इलाक़ों में मामूल की टीकाकारी को बढ़ावा देने की ज़रूरत है डाक्टर पर सुनना दास के मुताबिक़ ज़्यादा तर बच्चों की मौत निमोनिया या फिर डायरिया से होती है 24 फीसद बच्चे निमोनिया 13 फीसद डायरिया और18 फीसद वक़्त से पहले विलादत की वजह से पैदा होने वाली बीमारियों से मौत के मुँह में चले जाते हैं इस मौक़ा पर डाक्टर कमल प्रीत सिंह डायरेक्टर शोबा सेहत ने सहाफियों को बताया कि पाँच बीमारियों के लिए एक टीका पेंटावैलेंट शुरू होने जा रहा है। इससे टीकाकारी को और मज़बूती हासिल होगी
कुशाभाऊ ठाकरे मास मीडिया युनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि मीडिया आज तीन Cपर मुनहसिर है , क्रिकेट, सिनेमा और क्राइम। उन्होंने बताया कि दस बड़े अख़बारों के तीस दिन के मुताला में पाया कि तीस हज़ार ख़बरों में से सिर्फ़ दो ख़बरें सेहत से मुताल्लिक़ थीं उन्होंने तशवीश ज़ाहिर करते हुए कहा कि इन दो ख़बरों को भी सही जगह नहीं दी गई थी ।उन के मुताबिक़ सेहत--टीकाकारी से मुताल्लिक़ ख़बरें हाशिया पर रह जाती हैं इस सूरत--हाल को सुधारने की इंतहाई ज़रूरत है। इनका कहना था कि जब तक मामूल के टीकों की ख़बर पहली सफ़ा की हेडलाइन नहीं बनती तब तक मीडिया में H-5 (Health, Humanities, Hope, help and Happiness) का ख़्वाब पूरा नहीं हो सकता।

वर्कशॉप में शरीक सहाफियों को पाँच ग्रुप में तकसीम करके पाँच अलग-अलग मौज़ूआत पर ग़ौर फ़िक्र किया गया इन में टीकाकारी कवरेज को बढ़ाने के तरीक़ों, समाज पर असरअंदाज़ होने वाली शख़्सियात को मीडिया के साथ मामूल के टीकों के लिए जोड़ने के इमकानात और limitations,टीकाकारी के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल, AEFI के हादिसात पर ख़बर देने के तरीक़े और ग़लत  फ़हमियों--शको-शबहात को दूर करने में मीडिया के रोल वग़ैरह पर तफ़सील से ग़ौर--ख़ौज़ किया गया। पाँच ग्रुपों ने अपनी सिफ़ारिशात तैयार कीं जिन्हें इख़ततामी इजलास में मंजूर कराया गया। इन सिफ़ारिशात को रियासती--मर्कज़ी हुकूमत को भी भेजा जाएगा।

AEFI
के हादिसात की सूरत में शोबा सेहत के ज़रिया कार्रवाई के तरीक़ों से यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के हैल्थ स्पेशलिस्ट डाक्टर अजय टकरू ने सहाफियों को वाक़िफ़ कराया। उन्होंने बताया कि अगर किसी टीका की मियाद ख़त्म हो जाती है तो आम तौर पर उसे इस्तेमाल नहीं किया जाता अगर गलती से इस्तेमाल किया गया तो इस का फ़ायदा नहीं होगा और ना ही इस से कोई नुकसान। अगर फिर भी किसी तरह के नुकसान की ख़बर आती है मसला बुखार आ जाना, चक्कर आना , मतली होना या मौत वग़ैरह तो उस की एफआईआर होती है उस की इत्तिला मुक़ामी योनेट से रियासती ज़िम्मेदारों तक की जाती है जिस दवा से नुक़्सान होता है उसे क़ब्ज़े में ले लिया जाता है। उसकी लैब में जांच की जाती है फिर उसे इस्तेमाल करके देखा जाता है अगर वाक़ई ये दवा ग़लत साबित होती है तो कसूरवार को सज़ा दी जाती है प्रोटोकॉल से कोई भी बाहर नहीं जा सकता।

सोनिया सरकार यूनिसेफ दिल्ली की कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट ने रेडियो जॉकी, एफ़एम और सहाफियों के साथ काम करने के अपने तजुर्बा को शुरका के साथ शेअर किया उन्होंने इस बात पर ख़ुशी का इज़हार किया कि उर्दू अख़बारात ने इस मुहिम में ग़ैरमामूली तआवुन दिया है अप्रैल 2014से अब तक लगभग 124ख़बरें और तक़रीबन 80 मज़ामीन शाया हो चुके हैं उन्होंने कहा कि उर्दू सहाफियों और एजेंसियों के साथ यूनिसेफ के रवाबित को और मुस्तहकम करने पर ज़ोर दिया जाएगा उन्होंने युनाइटेड न्यूज़ नैटवर्क (यूएनएन) की कोशिशों को खासतौर पर सराहा उन्हों ने बताया कि कई अख़बारात हफ़्ता में एक दिन एक सीफ़हा ख़ुसूसी तौर पर सेहत के लिए मख़सूस करने लगे हैं।

सम्यक फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी राहुल देव ने मीडिया के दोहरे रवैये पर ज़ोर देते हुए कहा कि मीडिया का काम टीकाकारी पर सही मालूमात फ़राहम करके टीका की मांग पैदा करना , बढ़ाना और सेहत--टीका अरी के काम में लगे कारकुनान--सरकार पर इस काम को बेहतर तरीक़ा से करने का दबाव बनाना है।

वर्कशॉप के दौरान सहाफियों को ज़िला अस्पताल में टीकाकारी सेंटर, ग़िज़ा की कमी के शिकार बच्चों की देख रेख के लिए पोषण सेंटर और टीकों की दवाई रखने के सेंटर कोल्ड चेन का विज़िट किराया गया। वहां बताया गया कि कुछ टीका 2-8डिग्री पारे पर रखे जाते हैं जबकि कुछ को नफ़ी में 24 डिग्री के पारे पर रखा जाता है इन में एक कार्ड रखा जाता है जो हर पाँच मिनट पर पारे की हरारत को नोट करता है ये कार्ड तीस दिन 24घंटे का हिसाब रखता है कम्पयूटर में उसे लगाते ही वो रीडिंग को कम्पयूटर में मुंतक़िल कर देता है इस से गलती का इमक़ान कम हो जाता है।

आख़िरी इजलास में सिफ़ारिशात पेशी गईं इन में सेहत पर लिखने वाले सहाफियों का नेटवर्क बनाना जुए--, सरकारी--ग़ैर सरकारी इदारों और मीडिया के माबैन राबत और गुफ्तगू का सिलसिला हमवार करना, सरकारी मुलाज़मीन और आफ़िसरान को मीडिया से जुड़ने के लिए तर्बीयत दी जाये , तहसील की सतह तक शोबा सेहत की सलाहकार कमेटी में सहाफियों को जगह दी जाये वग़ैरह अहम हैं। ये रीजनल मीडिया वर्कशॉप दूसरी रियासतों में भी करने की तजवीज़ है ज़रूरत इस बात की है कि मीडिया अपनी ज़िम्मेदारी को महसूस करे और उसे इसी तरह अदा करे जैसा कि इस का हक़ है।

उर्दू में प्रकाशित लेख का यह देवनागरी में लिप्यंतरण है। लेखक यूएनएन के सम्पादक हैं।

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