29 Aug 2011

मध्य प्रदेश में टीकाकरण बढ़ा

मध्यप्रदेश में टीकाकरण अभियान को व्यापक समर्थन मिला है.  महिला एवं बाल विकास विभाग ने राष्ट्रीय पोषण संस्थान हैदराबाद से मध्यप्रदेश में बाल एवं मातृत्व स्वास्थ्य पर एक अध्ययन करवाया है. इस अध्ययन की रिपोर्ट हाल ही में जारी कर दी गयी है. इस अध्ययन में टीकाकरण का का प्रतिशत ८४ हो गया है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के तीसरे दौर के मुताबिक यह ८४ प्रतिशत था. मध्यप्रदेश में कवरेज इवेलुशन सर्वे के मुताबिक यह ४२ प्रतिशत था. इस सर्वे की मानें तो टीकाकरण के क्षेत्र में मध्य प्रदेश में काफी अच्छी तस्वीर सामने आती है.

मध्यप्रदेश में टीकाकरण तमाम कोशिशों  के बावजूद 42 प्रतिशत  तक ही पहुंच पाया था । प्रदेश  में 28 प्रतिशत  अभिभावकों को टीके की जरूरत ही महसूस नहीं होती। यूनिसेफ की रिपोर्ट कहती है कि देश  में हर दिन 5 हजार बच्चों की मौत हो जाती है, और इनमें से 65 प्रतिशत  मौतें ऐसी हैं जिन्हें रोका जा सकता है। यानी टीकाकरण बाल और शिशु मृत्यु दर को कम करने में प्रभावी साबित हो सकता है,

टीकाकरण पर भी लोगों की राय दिलचस्प नजर आती है। कवरेज इवेल्यूशन  सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक जहां 28 प्रतिशत  लोगों को इसकी जरूरत ही नहीं लगती और दूसरी ओर 26 फीसदी को जानकारी ही नहीं है। दस प्रतिशत को इस बात की जानकारी नहीं है कि टीकाकरण के लिए जाना कहां है। आठ प्रतिशत  लोगों को समय उचित नहीं लगता, और लगभग इतने ही टीके के साइड इफेक्ट से डरकर नहीं लगवाते हैं। 6 प्रतिशत लोगों के पास समय नहीं है और 1 प्रतिशत लोग रूपयों की कमी से ऐसा नहीं कर पाते।

तो राष्ट्रीय  पोषण संस्थान के सर्वे के बाद  क्या अब यह माना जाना चाहिए कि लोग टीकाकरण के लिए न केवल जागरूक हो रहे हैं बल्कि आगे भी आ रहे हैं.

इसमें कोई शक नहीं है कि टीके बीमारियों की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इसके लिए दोनों स्तर पर काम करने की जरूरत है। लेकिन सबसे जरुरी बात यह है कि उन सोलह प्रतिशत लोगों को अब भी खोजने की जरुरत है जो पूर्ण टीकाकरण से बचे हुए हैं.  सरकार को चाहिए कि वह दूरस्थ अंचल तक टीकाकरण की सुविधाएं सुरक्षित रूप से पहुंचाए वहीं समाज को भी अपनी ओर से बच्चों के स्वास्थ्य के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आगे आना चाहिए।

राकेश मालवीय

 राष्ट्रीय  पोषण संस्थान के सर्वे  के नतीजों पर आपकी क्या राय है..क्या वाकई मध्य प्रदेश में टीकाकरण की स्थिति बेहतर हुई है ?

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