8 Oct 2011

रामबाग की वैजन्ती दीदी

रामबाग की वैजन्ती दीदी
शेफाली चतुर्वेदी 


लाल साड़ी में वैजन्ती दीदी
मुजफ्फरपुर के रामबाग इलाके में स्थित आंगनवाडी सेंटर पहुंचना बारिश में और ज्यादा मुश्किल हो जाता है।लगातार ३ दिन चली मूसलाधार बारिश ने सारे मुजफ्फरपुर का हाल वैसे भी बदल दिया था । हर तरफ कचरा पानी के साथ बहता दिखाई दे रहा था। अधबने दुर्गा पूजा पंडाल भी सड़क रोके खड़े दिखाई दिए । ऐसे में मैं वैजन्ती कुमारी से मिलना चाहती थी । वैजन्ती तक पहुंचना सड़क पर पानी से चले संघर्ष के बाद एक बड़ी जंग जीतने सा था। करीब 45 मिनट के सफ़र के बाद जब मैं वैजन्ती के पास पहुंची तो उसे पहली बार देखकर ऐसा लगा मानो दुर्गा खुद कुछ समय पहले ही मिलने चली आई हों.लाल साडी,लाल बिंदी,लाल महीन मोतियों वाला मंगल सूत्र ,लाल पीली चूड़ियाँ और चेहरे पर संतोषी मुस्कान.दोनों हाथ जोड़कर अभिनन्दन करने वाली ये महिला जो मेरे सामने खड़ी थी,इसे ही लोग रामबाग में वैजन्ती दीदी कहते हैं। तीन बच्चों की माँ वैजन्ती ,दरअसल रामबाग स्थित आँगन वाडी कार्यकर्ता है ,थोड़ी देर संकोच में धीरे धीरे बातचीत जारी रखने के बाद वैजन्ती ने खुलना शुरू किया. उसे अपने सेंटर से जुडी हर संख्या उंगली पर याद है. ...3 किशोरियां, 8 धात्री माताएं, 40 स्कूल पूर्व बच्चे, 40 पोषण आहार के लिए आने वाले बच्चे......उनकी हर बात वैजन्ती जानती है।


.वो खुश है की सुबह 9 से दोपहर 1 तक वो जिस काम में लगी है उसे पूरी ईमानदारी से पूरा कर रही है/.डोम पट्टी में रहने वाले बच्चों का उसकी आंगनवाडी में आने और जुड़ जाने की घटना बताते हुए उसका गर्व उसकी आवाज़ में सुनाई देने लगता है। वो बताती है की कैसे वो उन् परिवारों को मनाती है जिन्हें इस बात की गारंटी चाहिए होती है कि उनके बच्चे को किसी हरिजन बच्चे क साथ नहीं बैठाया जायेगा।"

वैजन्ती के लिए बड़ी चुनौती है उसके क्षेत्र के कचरा बीनने वाले परिवार जो अब भी बच्चों को स्कूल भेजने की बजाय कचरे के ढेर के पास भेजना ज्यादा उपयोगी मानते हैं."हम बोले आप बच्चा की कमाई खाइएगा या खुद कमा कर उसका पेट भारियेगा? 2-3 दिन बात समझता है और फिर बच्चा लोगों को काम पर लगा देता है." साफ़ सफाई के प्रति वैजन्ती सख्त दिखाई दी.उसने अपनी सहायिका को भी हिदायत दी हुई है की आंगनवाडी में आने वाले हर बच्चे का वो हाथ ,चेहरा और पैर वो साफ़ करा कर ही उसे बैठाएगी।"टीकाकरण के दिन आप कभी भी यहाँ आ जाइये आपको एक भी बच्चा गन्दा नहीं दिखाई देगा",ये वैजन्ती का दावा है.वो परेशान है की इतने गरीब परिवारों से आने वाले बच्चों को एक बजे बाद रात तक कई बार कुछ खाने को नहीं मिलता तो पोषण की देख रेख ठीक तरह से कैसे हो पायेगी.जब वो कहती है कि 'अगर टीकाकरण वाले दिन माँ व्यस्त हो तो अब पिता लोग भी बच्चा लेकर आ जाता है...सुधर न रहा है!' तब उसकी आवाज़ और आँखों में एक अलग ही चटक अभिव्यक्ति अनुभव कि जा सकती है.निश्चित रूप से वैजन्ती बहुत ख़ूबसूरती से वो कर रही है जो हर एक अच्छे आंगनवाडी वर्कर से अपेक्षित है।

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