झारखंड में शिशु मृत्यु दर उत्तरी राज्यों में सबसे कम
रांचीः मंगलवार को बारहवां स्थापना दिवस मनाने जा रहे झारखंड राज्य में तमाम कठिनाइयों के बावजूद शिशु मृत्यु दर घटकर सिर्फ़ 41 रह गयी है, जो उत्तर प्रदेश की 70 बच्चों की शिशु मृत्यु दर की लगभग आधी ही हैं.
संयुक्त राष्ट अंतरराष्ट्रीय बाल आकस्मिक कोष यूनिसेफ़ के झारखंड प्रमुख जाब जकारिया ने बताया कि शिशु मृत्यु दर कम करने के अंतरराष्ट्रीय मानक को हासिल करने की दिशा में झारखंड ने बडी सफ़लता हासिल की है. नवीनतम आंकडों के अनुसार यहां शिशु मृत्यु दर नौ प्रमुख उत्तरी राज्यों में सबसे अधिक घटकर सिर्फ़ 41 रह गयी है, जबकि इन नौ राज्यों में से उत्तर प्रदेश में शिशु मृत्यु दर अभी भी सर्वाधिक सत्तर है. इतना ही नहीं इन नौ प्रमुख उत्तर के राज्यों में झारखंड में मृत्यु दर भी घटकर सिर्फ़ छह रह गयी है, जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे बुरा हाल है और वहां मृत्यु दर प्रति एक हजार जनसंख्या पर लगभग 8. 5 है.
उन्होंने बताया कि भारत का औसत शिशु मृत्यु दर भी 48. 2 है, जो झारखंड के 41 के आंकडे से लगभग सत्रह प्रतिशत अधिक है. इतना ही नहीं झारखंड के दो जिलों जमशेदपुर और धनबाद ने तो शिशु मृत्यु दर घटाकर क्रमश 26 और 28 हो गयी है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य के अनुकूल है. जॉब ने बताया कि प्रति एक हजार शिशु जन्म पर सहस्त्राब्दि लक्ष्य अधिकतम 28 रखा गया है. यह लक्ष्य सभी देशों को वर्ष 2015 तक प्राप्त करना है. झारखंड की राजधानी रांची और औद्योगिक शहर बोकारो भी इस लक्ष्य के बिलकुल निकट हैं और इन दोनों जिलों में शिशु मृत्यु दर क्रमशः सिर्फ़ 35 और 29 ही रह गयी है.
12 नवम्बर, 2011
58 लाख बच्चों को दिये जाएंगे खसरे के टीके
रांची, राज्य सरकार और यूनिसेफ के सहयोग से खसरे के खिलाफ एक बड़े अभियान की शुरुआत 19 जिलों में होगी। इन जिलों में नौ महीने से लेकर 10 वर्ष तक के आयु वर्ग के 58 लाख बच्चों को खसरे के टीके दिये जाएंगे। 18 नवंबर से दस जिले में और दो दिसंबर से 9 जिले में खसरा टीकाकरण अभियान को शुरू किया जाएगा। इससे पहले इसी वर्ष 31 जनवरी को 5 जिलों में आठ लाख बच्चों को खसरे के टीके दिये गये थे।
आज यहां आयोजित मीडिया उन्मुखीकरण कार्यक्रम में यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख जॉब जकारिया ने बताया कि झारखंड में प्रतिवर्ष दो हजार बच्चे खसरे की वजह से मरते हैं। अगर खसरे से बचाव कर लिया जाय तो झारखंड में शिशु मृत्यु दर कम हो सकती है। उन्होंने कहा कि यदि बच्चों को सही पोषण हो और बच्चों के स्तनपान करने को बढ़ावा दिया जाए तो वर्ष 2015 तक शिशु मृत्यु दर में कमी होगी और झारखंड वर्ष 2015 तक मिलेनियम डेवलपमेंट लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। वर्तमान में झारखंड में शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) एक हजार बच्चों पर 40 है। जबकि राष्ट्रीय औसत एक हजार पर 50 है। हमारा लक्ष्य है कि वर्ष 2015 तक शिशु मृत्यु दर को एक हजार पर 28 तक लाया जा सकता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव नहीं है। चूंकि पूर्वी सिंहभूम जैसे जिलों इसे पहले ही प्राप्त किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि कैचअप राउण्ड के बाद सभी बच्चों को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत प्रथम नौ महीने और फिर दूसरी बार 16 महीने में डीपीटी बूस्टर के साथ खसरे के टीके दिये जाएंगे। वर्तमान में बच्चों के जीवन में सिर्फ एक बार ही यह टीके दिये जाते हैं।
No comments:
Post a Comment