Article contributed by Mr. Raju Kumar, Principal Correspondent, The Sunday Indian, Bhopal, Madhya Pradesh
''आज से पांच-छह साल पहिले तक गांव से बाहर जाके पढ़े के बारे में कवनो लइकी ना सोचले रहे. 12वीं तक के पढ़ाई गांव में ही कऽ लीहल बड़ बात रहे. हम गांव से 15 किलोमीटर दूर होशंगाबाद के महिला महाविद्यालय में पढ़े खातिर बस से जात रहीं, तब बस में हम अकेल लइकी होत रहीं, जवन पढ़े खातिर सफर करत रहे. बाकिर अब अइसन नइखे. अब हमरा गांव से ही 20 से जादा लइकी रोजाना बस से सफर कऽ के कॉलेज के पढ़ाई करे होशंगाबाद जालीं.
लइकियन में पढ़े के प्रति ललक पैदा करे खातिर सरकार के कई योजना प्रोत्साहित कइलस. ई कहनाम ह आंचलखेड़ा स्थित आंगनवाड़ी क्रमांक एक के कार्यकर्ता श्रीमती सागर यादव के. श्रीमती सागर यादव के माई-बाप बचपन में ही मामा के घरे छोड़ देले रहे, जहवां ऊ कइगो तकलीफ के सहत 12वीं के बाद बी.एससी. आ फेर एम.ए. कइलीं. उनका शासन से मिले वाली छात्रवृत्ति से उच्च शिक्षा हासिल करे में मदद मिलल.
आंचलखेड़ा देखला में एगो सामान्य गांव जइसन बा, जवन मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिला में बा. बाकिर एह गांव के लइकियन में पढ़े के प्रति रुझान देख के लागेला कि लइकी लोग सामाजिक, राजनीतिक आ आर्थिक स्वावलंबन के राज के जान लेले बाड़ी. गांव में लइकियन के बीच शिक्षा पावे अउर एक-दोसर से आगे निकले के होड़ देख के केहू ना कह सकेला कि ऊ लइकन से कमतर बाड़ी.
हं, ऊ लोग एह बात के भी स्वीकार करेलीं कि उनका पढ़े खातिर परिवार आ समाज से संघर्ष करे के पड़ेला, बाकिर शासन के योजना सब से उनका जवन मदद मिलेला, ओकरा मदद से ऊ अपना परिवार के तर्क के खारिज करत बाड़ी अउर परिवार के साथ मिल गइला पऽ उनका सामाजिक बाधा सब के पार करत देर ना लग रहल बा. यूनिसेफ के मध्यप्रदेश प्रमुख डॉ. तान्या गोल्डनर कहत बाड़ीं, ''टिकाऊ विकास खातिर शिक्षा एगो मौलिक अधिकार बा.
कइगो साक्ष्य बा, जवन बतावेला कि आर्थिक विकास खातिर लइकी लोग के शिक्षा में निवेश कइल जरूरी बा. एकरा साथे समाज अउर परिवार से लैंगिक भेदभाव के खतम करे में भी बालिका शिक्षा जरूरी बा. लगभग 3,000 के आबादी वाला आंचलखेड़ा में 46 फीसदी महिला बाड़ी, बाकिर उनकर जागरूकता अउर पढ़ल-लिखल आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आ सरपंच के वजह से लिंगानुपात में सुधार लउकत बा.
गांव में छह साल तक के बच्चन में 51 फीसदी बालिका बाड़ी स. गांव के चारगो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता में से तीनगो तऽ गांव के ही बाड़ी. एगो कार्यकर्ता एम.एससी. आ तीनगो एम.ए. बाड़ी. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सुश्री स्नेहा यादव गांव के बेटी योजना के लाभ उठा के एम.एससी. तक के पढ़ाई कइलीं अउरअब गांव में ही कार्यरत बाड़ी. ऊ कहत बाड़ी कि, 'शिक्षा खातिर सरकार के योजना सब से कइगो सुधार देखे के मिल रहल बा.
घर में शिक्षित बालिका लोग के रहला से गांव में टीकाकरण सौ फीसदी संभव हो पवलस. कुपोषण के स्थिति कम भइल बा. गांव में अब तक 56 लइकिन के लाडली लक्ष्मी योजना के लाभ मिल चुकल बा. गांव में अब बाल बियाह कइल संभव नइखे. सबसे बड़ बात तऽ ई कि सब लइकियन में स्वावलंबन के इच्छा जाग गइल बिया.
गांव में प्राथमिक शाला, मध्य शाला आ उच्चतर माध्यमिक शाला के सुविधा होखे से आसपास के गांवन से भी लइकी लोग पढ़े खातिर आवेली. प्राथमिक शाला के प्रधानाध्यापिका श्रीमती शीला मेहरा बतावत बाड़ी कि, '2010 में पहिला कक्षा में 20 लइकन के तुलना में 34 लइकी अउर 2011 में पहिला कक्षा में 27 लइकन के तुलना में 42 लइकी नामांकन लेली. प्राथमिक शाला के कुल विद्यार्थियन में भी लइकियन के संख्या जादा बिया.
प्राथमिक स्तर पऽ पढ़े वाली लइकियन में अनुसूचित जाति अउर जनजाति समुदाय के लइकियन के संख्यो लइकन से जादा बा. मध्य शाला के प्रधानाध्यापक केएस राजपूत बतावत बाड़े कि, 'शासन के कइगो योजना के लाभ लइकियन के मिल रहल बा, जवना के वजह से पालक उनका पढ़ावे खातिर आगे आ रहल बाड़े. बालिका प्रोत्साहन योजना, निशुल्क यूनीफार्म अउर साइकिल योजना के साथे-साथे उनका कइगो अउर योजना के लाभ आ छात्रवृत्ति भी मिल रहल बा.
छठीं से आठवीं तक में भी लइकियन के संख्या जादा बा. सबसे बड़ बात ई कि उनकर उपस्थिति भी 85 फीसदी से जादा बा. डॉ. तान्या गोल्डनर कहत बाड़ी कि, 'यूनिसेफ लइकियन के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करावे खातिर 2015 तक शिक्षा में लैंगिक समानता लावे खातिर रोडमैप बना के सरकार के साथे काम कऽ रहल बा. ई खुशी के बात बिया कि मध्य प्रदेश में बालिका शिक्षा में सुधार खातिर योजना सब कारगर साबित हो रहल बाड़ी स.
एकरा से बालिका लोग के साथे समुदाय भी लाभान्वित होई. हमरा ई सुनिश्चित कइल जरूरी बा कि सब बच्चा शाला में होखे आ उनका बेहतर वातावरण अउर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके.आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शर्मिला तिवारी कहत बाड़ी कि, 'योजना सब के लाभ मिलला से पालक उनका पढ़ाई करे से नइखे रोक रहल. लइकी लोग गांव में ही कइगो अइसन उदाहरण देख रहल बाड़ी, जवना से उनका पता चलत बा कि शिक्षित भइला से केतना लाभ बा.
आंचलखेड़ा के कइगो लइकी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आ संविदा शिक्षक बन के आर्थिक रूप से मजबूत भइल बाड़ी.गांव के सरपंच मनीषा तिवारी बतावत बाड़ी कि, 'कुछ साल पहिले तक गांव के कवनो लइकी नौकरीपेशा ना रहे. अब कई लइकी नौकरी कऽ रहल बाड़ी. वर्धमान कंपनी गांव में आके 12वीं पास 15 लइकियन के चयन कइले बिया. शासन के योजना के तहत उनका महिला लोग के प्राथमिकता देत स्थानीय लोगन के रोजगार देवे के बा.
गांव के 20गो लइकी एह बेर शिक्षक के नौकरी खातिर परीक्षा देले बाड़ी. उच्चतर माध्यमिक शाला के प्रभारी प्राचार्या संगीता कहत बाड़ी कि, 'पढ़ाई के साथे-साथे अउर गतिविधियन में भी लइकियन के भागीदारी बढ़ल बा. शिक्षा से उनका में आत्मविश्वास बढ़ल बा.आंचलखेड़ा एगोनमूना बा, जवना से पता चलत बा कि शिक्षा के प्रति लइकियन में ललक बहुत जादा बढ़ल बा. उनका अबहियों घर-परिवार के समस्या से जूझे के पड़ेला अउर योजना के लाभ लेवे खातिर चक्कर लगावे के पड़त बा, बाकिर तस्वीर सकारात्मक बा.
का कहत बाड़ी लइकी लोग
'हमरा घर में माई के अलावा केहू नइखे. माई मजूरी करत रहे. 12वीं में अव्वल अइला पऽ गांव के बेटी योजना के लाभ मिलला के बाद आगे के पढ़ाई संभव हो पवलस.
सुषमा यादव, परित्यक्ता के बेटी
'हम जनम से विकलांग हईं. सरकारी छात्रवृत्ति मिलला के वजह से परिवार के ओर से हमरा पढ़ाई में कवनो बाधा ना आइल. हम एम.ए. कऽ रहल बाड़ी हूं.
राधा यादव, विकलांग छात्रा
'छात्रवृत्ति आ परिवहन योजना से पढ़ाई संभव भइल. बड़ी बहिन के संविदा शिक्षक के नौकरी मिल गइल. चचेरी बहिन बी.एस.एफ. में क्लर्क हो गइल.
राजकुमारी धुर्वे, दलित छात्रा
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