Story contributed by Mr.Pankaj Shukla, City Bureau Head, Navdunia, Bhopal, Madhya Pradesh
भोपाल। अभी न तो उनकी उम्र इतनी है कि वे वोट दे सके और न उन्होंने वोटिंग की है लेकिन गुना-अशोकनगर जिलों के गाँव-शहर के बच्चों की ऊँगली परआजकल एक काला निशान दिखाई दे रहा है। यह निशान ठीक वैसा ही है जैसे वोटिंग करने के दौरान वोटर की ऊँगली पर लगाया जाता है। असल में यह निशानबच्चों को खसरे से बचाने के लिए चलाए जा रहे विशेष राउंड के तहत उन बच्चों को लगाया जा रहा है जिन्हें टीका लगा दिया गया है। पहले खसरे का टीका लगाने सेबचने वाला ग्रामीण भी अब अपने बच्चों को लेकर स्कूल आ रहे हैं ताकि वे खसरे से सुरक्षित हो जाएँ।
भोपाल से गुना जाते वक्त रास्ते में एक कस्बा मिलता है बीनागंज। यहाँ कुछ बच्चों की ऊँगलियों पर काला निशान देखा तो कारण जानने की जिज्ञासा हुई। पड़तालकी तो पाया कि सरकारी स्कूलों के साथ प्रायवेट स्कूलों में भीड़ दिखाई दे रही है। बच्चों का कलरव सुनाई देता है और बच्चों के साथ माता-पिता खड़े हैं। मिलन औरहिन्द पब्लिक स्कूलों में पूछने पर पता चला कि इन स्कूलों में रोज से ज्यादा बच्चे आ रहे हैंै। सुखद आश्चर्य से सवाल किया कि ऐसा क्यों? आईएमएनसीआईब्लॉक कोर्डिनेटर महेश चंदेल बताते हैं कि जब से खसरा टीका लगाने का प्रचार हुआ है माता-पिता टीका लगवाने उन बच्चों को लेकर भी आ रहे हैं जो स्कूल मेंपढ़ने नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि इनदिनों स्कूलों में बच्चों की भीड़ है। अभिभावक अपने साथ पड़ोसियों को भी ला रहेे ताकि उनके बच्चों को टीका लगवायाजा सके। यही वजह है कि जब लक्ष्य 4 हजार 936 बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य था तो 5 हजार 211 बच्चों को टीका लगाया गया।
ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ जलालुद्दीन बताते हैं कि उनके क्षेत्र में कई आदिवासी मझरे टोले हैं। दस-पन्द्रह आदिवासी परिवार यहाँ रहते हैं और अकसर ही उनकेटोलों में खसरा फैल जाता है। वे टीका लगवाने में रूचि नहीं दिखाते। बार-बार समझाने के बाद भी वे नहीं मानते थे। इसबार स्कूलों को साथ में लेकर विशेषटीकाकरण प्रारम्भ किया गया। पहले हफ्ते के बाद आँगनवाड़ियों मंे खसरा टीका लगाया जाएगा। बच्चों की पहचान के लिए टीका लगाने के बाद ऊँगली पर कालानिशान लगाया जा रहा है। जिस बच्चे के हाथ में यह टीका नहीं होता कोई उसे टीका लगवाने ले आता है।
गौरतलब है कि खसरा हर साल सैकड़ों बच्चों को अपनी चपेट में लेता है। पिछले वर्ष किए गए विशेष सर्वे में पाया गया था कि प्रदेश में एक साल में ढ़ाई हजारबच्चों को खसरा हुआ। बच्चों को टीका लगा कर खसरे से बचाया जा सकता है लेकिन टीका न लगवाने के कारण यह ठीक हो जाने वाली बीमारी बच्चों की जान लेरही है। बच्चों को इस जानलेवा संक्रमण से बचाने के लिए इसके लिए यूनिसेफ के सहयोग से मप्र स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और स्कूलशिक्षा विभाग ने मिल कर विशेष अभियान शुरू किया है। तीन हफ्तों तक चलने वाले इस विशेष राउंड के तहत अशोकनगर-गुना सहित प्रदेश के चुनिंदा 14 जिलोंमें स्कूलों औ आँगनवाड़ियों में बच्चों को खसरे के टीके लगाए जा रहे हैं। पहले टीके से डरने वाले माता-पिता अब खुद आगे आ कर बच्चों को टीका लगवा रहे हैं।इतना ही नहीं वे अपने परिचितों को समझाइश भी दे रहे हैं कि खसरे का टीका लगवा कर अपने बच्चों को मौत से बचाएँ।
क्या है खसरा-
खसरा रोग वायरस से होता है । इसके लक्षण हैं - बुखार, खॉंसी, नाक का चलना, आँखे लाल होना और सारे शरीर पर दाने (मैक्यूलोपैपूलर, इरिथ्रोमेटस) आना औरबच्चों में घातक एनसिफेलोपैथी का होना। यह हवा के द्वारा फैलता है। इसका शुरूआती लक्षण 3-4 दिन तक तेज बुखार आना है। लाल दाने पहले सिर पर होते हैं।फिर सारे शरीर पर हो जाते हैं। इसमें खुजली भी होती है।
क्यों खतरनाक है खसरा
-खसरा संक्रमण से होता है और 10 साल से कम उम्र के बच्चों को चपेट में लेता है।
- 10 साल तक की उम्र के बच्चे हमारी आबादी का 20 से 25 प्रतिशत हिस्सा है।
-बचाव का टीका मौजूद है लेकिन लोग डर और अंधविश्वास के कारण बच्चों को यह टीका नहीं लगवाते।
-मप्र में 58 प्रतिशत बच्चे पूर्ण टीकाकरण से वंचित हैं।
-28 प्रतिशत लोग टीकाकरण का महत्व ही नहीं जानते जबकि 26 प्रशित लोग जानते हुए भी बच्चों को टीका नहीं लगावाते।
-गाँवों मंे मात्र 53 प्रतिशत बच्चांे को ही खसरे का टीका लगवाया जाता है।
No comments:
Post a Comment