छात्राओं को मिली उच्चशिक्षा की सीढ़ी, खत्म हुई बाधा
ज्ञानप्रकाश/एसएनबी
रायपुर (एसएनबी)। छत्तीसगढ़ के सु़दू़र अंचलों से आए अभावग्रत बच्चों के चेहरे पर आज मुस्कान तैर गई जब शिक्षा का अधिकार परियोजना के तहत यूनिसेफ के प्रयासों से उनको हाईटेक वैिक शिक्षा से जोड़दिया गया। एडूट्रेक एप्लीकेशन के शुभारंभ के मौके पर छत्तीसगढ़ के 32 स्कूलों की 6 हजार से अधिक बच्चियां सूचना तंत्र से जुड़ गई। देश का छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य बन गया है जो शिक्षा के आधुनिक तकनीक सेजुड़ गया। वैसे तो छत्तीसगढ़ नक्सलवाद की समस्या के कारण हमेशा देशभर में चर्चा व सुर्खियों का विषय रहा है। इस प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता पर आज तक किसी की नजर नहीं थी। स्तर की गिरावट केकारण मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने पिछले दिनों ही शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने की एक योजना के तहत प्रदेश के सभी स्तर के जनप्रतिनिधियों अधिकारियों यहां तक मंत्रियों को भी इस योजना में लगा दिया है।इसी भावना के तहत देश की प्रसिद्ध फिल्मी अभिनेत्री करीना कपूर भी यूनिसेफ के साथ रायपुर पहुंची और बाल अधिकार व शिक्षा के अधिकार के कार्यक्रम में शरीख हुई।
बच्चियों की नजर में शिक्षा के माइने:
बच्चों के मन में उच्च शिक्षा की ललक तो बहुत होती है। कोई डाक्टर बनना चाहता है तो कोई इंजीनियर, वैज्ञानिक और कोई आईएएस आईपीएस लेकिन पुरातनवादी सोच के पालक अक्सर अपनी सोच के कारणइनके इस सपनों के बीच में बाधा बन कर खड़े हो जाते हैं। 8वीं व 12वीं तक पढ़ने के बाद ऐसे पालक सोचते हैं अब और पढ़ाने का कोई मतलब नहीं है खासकर लड़कियों के मामले में तो यह सोच बहुत अधिक है।खासकर ऐसे क्षेत्रों में जो ग्रामीण है।लड़को के मामले में भी आर्थिक कारणों से हजारों बच्चे इसी समस्या का शिकार होते थे। इस स्थिति को एक अध्ययन के बाद समझते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने इस ओर कदमबढ़ाकर यह तय किया कि ऐसे बच्चियों की उच्चशिक्षा नि:शुल्क कराई जाएगी। यह कन्याओं के विकास के रास्ते को आसान करने के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है। इंडोर स्टेडियम में शिरकत कर रहीकस्तुरबा गांधी बालिका आवासीय स्कूल में 8वीं कक्षा की छात्रा चंचल रवानी डाक्टर बनना चाहती हैं तो इसी स्कूल की 7वीं कक्षा नीवीता सिंह नर्सिग का कोर्स कर मरीजों की सेवा करने की योजना बना रही है।तो वहीं 7वीं कक्षा की एक अन्य छात्रा प्रीति मिंज, 6ठी की छात्रा तारा बुजुट पायलट का ख्वाब संजो रही है। उनका कहना है कि यह सब यूनिसेफ एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बाल शिक्षा की गुणवत्ता मेंबालिकाओं का भविष्य को साकार करने के अभियान से संभव हो पा रहा है। इनमें प्रीति, तारा ऐसी छात्राएं हैं जिनके माता पिता ने 5 कक्षा के बाद उनकी पढ़ाई बंद करा दी थी। बाल अधिकार के कल्याण के लिएकाम करने वाली संगठन यूनिसेफ से संभव हो सका है। बीते एक साल के दौरान इस अभियान के तहत दो लाख से अधिक छात्राएं स्कूल आने लगी है। वे उच्चशिक्षा को हासिल करने में ही अपना भविष्य देख रहीहैं। इस मौके पर स्कूल शिक्षा के सचिव सुब्रत साहू, यूनिसेफ रायपुर के प्रशांत दास समेत कई अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।
ज्ञान/असम्पादित
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